हमर कोनो रूप, रंग आ लिंग ने छल अबै से पहिने
नवनिर्माण कय किया खंडित कयल अबै से पहिने
लटकि गेलन्हि बाबू क मुह हमर खबर सुनितहि
ममता संग जे नुकायल नोर देखल, कनै से पहिने
अन्चिन्हार रहितो घर चिन्हार लागल अबै से पहिने
चिन्हार घर छुटत नहि छल बुझल जगै से पहिने
हमर अचेतन मोन के विलक्षण अहां बना लैतहु
सडल समाज के धकिया दितहु हारि मानै से पहिने
नीरीह असहाय प्राण के चाही छलैक ममता सिनेह
मिहिर मुदित मुहो ने देखलहू अहां मारै से पहिने
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