हमरा सँ की नै करेलक सिहन्ता हमर।
सदिखन खाली कनेलक सिहन्ता हमर।
अहाँ भेंटतौं, से हमर कहाँ इ भाग्य छलै,
मुदा अहीं दिस बढेलक सिहन्ता हमर।
सुरूजक आगि सँ बचू, यैह जमाना कहै,
बाट सुरूजक धरेलक सिहन्ता हमर।
चान मुट्ठी मे बन्न कैल ककरो सँ नै भेलै,
हमरा यैह नै सिखेलक सिहन्ता हमर।
"ओम"क सिहन्ता जेना कतौ मरि-हरि गेलै,
सबटा सिहन्ता जरेलक सिहन्ता हमर।
--------------- वर्ण १६ ---------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें