छोड़ि दिऔ हाथ देखिऔ केम्हर जाइ छै
जेतै त ओ उम्हरे सब जेम्हर खाइ छै
बेच देत आब सर्वस्व माटि आ माय के
ओकरा ले त सबसे नमहर पाइ छै
पराकास्ठा केलक, जनता देलक दन्ड
अंततः आब ओ रने बने छिछियाइ छै
घोटाला करै काल किछु नै छलैक ध्यान
पाइ खेलक आब जेलक हवा खाइ छै
बचल भज़ार लागल एख़नो लूट मे
मदति के आस मे आई ओ रिरियाइ छै
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