शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गजल



जे रुप अछि जे रंग अछि
कुँयै मे घोरल भंग अछि

सेक्स बेचय के छै फ़ैसन
उघरैत अंग अंग अछि

पार्क आफ़िस बाट चौबट्टी
ओहिना सेक्स चितंग अछि

अंग प्रदर्शनक धुम छै
निसाँ मे लोक मतंग अछि

हरैय रहलै हेँ मातृत्व
आधुनिक ओ जे नंग अछि

गोलाइक सभकेँ गुमान
रति-स्वप्नक उमंग अछि

झाँपल के होइ दुर-छीह
आहा ततै जे उतंग अछि

बदलैत संस्कृतिक रुप...
देखि "शांतिलक्ष्मी" दंग अछि

.......वर्ण १०........

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों