गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

गजल

समय देत अगर साथ त हम जरुर मिलब / 
होयत अगर दारू के भोज त हम फेर मिलब // 


"मोहन जी"  ईजोरिया के लेल ओध्लो अन्हरिया /
ढैल जायत अनहरिया राईत त हम फेर मिलब // 


हमरा जरुरत नहीं या पुछबाक उत्तर केरी / 
पुछल जायत सवाल त हम फेर मिलब // 


जितब अगर आहा त बाजी लगा लिय /
देब आहा के सज्जा त हम फेर मिलब //       


  

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों