शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गजल



हम हारि जाइ छी जखन तखन इयाद करै छी तोरा
सुझै नै अछि जेँ अबलम्ब घुरि पुनर्याद करै छी तोरा

बाबा यौ अकाले अहाँ सुति रहलौ ऐना कियै चिरनिंद्रा
जँ उठल अहाँक पसरल छाया बेमियाद गुणै छी तोरा

ताजीवन सपलिवार केँ कुशोक कलेप नै देलौ आवै
सुख समृद्धि वैभवक आइ देल प्रसाद बुझै छी तोरा

जखन जखन देखै छी ई पीरही, खड़ाम आ फुलही लोटा
घुमैड़ घुमैड़ चुल्हातर हम अंतर्नाद कनै छी तोरा

भेटय अहाँक निर्मल आत्माकेँ मौक्ष, स्वर्ग आ चिरशांति
हे हमर ईश्वर बस एतबे फ़रियाद करै छी तोरा

दियौ कोढ़क सक्कत होइ केर आशीर्वाद "शांतिलक्ष्मी" केँ
लs बेकल मन नतमस्तक पंकजपाद पड़ै छी तोरा

.....................वर्ण २१.............

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों