हम हारि जाइ छी जखन तखन इयाद करै छी तोरा
सुझै नै अछि जेँ अबलम्ब घुरि पुनर्याद करै छी तोरा
बाबा यौ अकाले अहाँ सुति रहलौ ऐना कियै चिरनिंद्रा
जँ उठल अहाँक पसरल छाया बेमियाद गुणै छी तोरा
ताजीवन सपलिवार केँ कुशोक कलेप नै देलौ आवै
सुख समृद्धि वैभवक आइ देल प्रसाद बुझै छी तोरा
जखन जखन देखै छी ई पीरही, खड़ाम आ फुलही लोटा
घुमैड़ घुमैड़ चुल्हातर हम अंतर्नाद कनै छी तोरा
भेटय अहाँक निर्मल आत्माकेँ मौक्ष, स्वर्ग आ चिरशांति
हे हमर ईश्वर बस एतबे फ़रियाद करै छी तोरा
दियौ कोढ़क सक्कत होइ केर आशीर्वाद "शांतिलक्ष्मी" केँ
लs बेकल मन नतमस्तक पंकजपाद पड़ै छी तोरा
.....................वर्ण २१.............
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