मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

गजल


प्रस्तुत अछि इरा मल्लिक जीक गजल



बाट जाम होय कि मगज विकास रुकबे करत
बेइमान हो नेता ते, देश के नैया डूबबे करत

पूँजीपति हो लालची, चोर धनबटोर सूदखोर
विकराल मँहगाइ ते आसमान छुबबे करत

भूख सँ बिलबिलाइत अछि बाल बच्चा वृध्दजन,
अइ सरकार के थूका फजीहत करबे करत

बढ़ैत जनसँख्या सँ त्रस्त अछि, सौँसे सँसार आइ,
बेरोजगारीक मारि सँ,लाचार तँ होबहे पड़त

जहि देश मेँ होय एकता,अखँडताक दिव्यमँत्र,
ओते सुख शाँति समृध्दि के.त्रिवेणी बहबे करत..

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों