गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

रुबाइ

मिललै आँखिसँ आँखि देह सिहरि गेलै
सटलै चामसँ चाम देह सिहरि गलै
हमरा आब नै चाही किछु संसारमे
भेलै प्रेमसँ प्रेम देह सिहरि गेलै

1 टिप्पणी:

  1. मिथिला माय करैथ पुकार

    बेटा! जागु आबो बनु होशियार!
    दुश्मन के करू खबरदार!

    दोसर भावे जड़ैछ अहाँ सँ,
    हुनका संग करू मृदु व्यवहार।

    स्वयंमें जे अछि कायर घनघोर,
    माइर भगाबू कर्महि धार।

    दूर भगाबू दहेज के कूरीति,
    मानू बेटी सभ के सुन्दर नाज।

    मातृ ऋण सँ उऋण बनू,
    करू जगत्‌ में सुन्दर काज।

    मिथिला सदिखन उपमा बनल,
    आइयो चलय सब उच्च संस्कार।

    राखू लाज माय के आबो,
    एकत्रित बनि राखू ताज।

    मिथिला माय करैथ पुकार!

    हरिः हरः!

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों