१) सभसँ पहिने एकरा पुरस्कार नहि सम्मान कहल जाएत। एहि तरहक संशोधन एकटा पाठक (नाम मोन नै पड़ि रहल अछि जे विदेह ग्रुप पर सुझाओ देने छलाह)के आधार पर कएल जा रहल अछि।
२) एहि पुरस्कार लेल राशि संबंधी घोषणा सुरक्षित राखल गेल छल। आ जेना की सम्मान खाली सम्मान होइत छैक आ सम्मान मे जखन टकाकेँ प्रवेश होइत छैक तखन रचना नै रचनाकार प्रधान भए जाइत छैक। आ अनचिन्हार आखर पहिने रचना के सम्मान करत तखन रचनाकारकेँ । तँए एखन तात्काल राशि बला प्रावधान हटाएल जाइत अछि। आशा अछि गजलकार अपन उर्जा आ रचनात्मकता बनेने रहता।
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