प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
देखू मुसडंडा अराम करैए
लोककेँ जीयब हराम करैए
भरि दिन करैए ओ काटा-काटी
साँझेसँ मुदा राम-राम करैए
चोर-उच्चकाकेँ छै अड्डा एतए
ओ दसमंजिला धराम करैए
सभ्य रहैछ नुकाएल जतए
असभ्य जिनगी विराम करैए
आखर-----12
प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
देखू मुसडंडा अराम करैए
लोककेँ जीयब हराम करैए
भरि दिन करैए ओ काटा-काटी
साँझेसँ मुदा राम-राम करैए
चोर-उच्चकाकेँ छै अड्डा एतए
ओ दसमंजिला धराम करैए
सभ्य रहैछ नुकाएल जतए
असभ्य जिनगी विराम करैए
आखर-----12
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