प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
अपन देशक रोजगारीकेँ खसबैए सरकार
पँजी निवेश नामे विदेशीकेँ बसबैए सरकार
हाट-बाजारक महत्व नै बूझै माँल बुझै मूल्यवान
छोट-छोट व्यपारी के तँ भीतर धसबैए सरकार
लगा पसाही देश भरिमे करबैए जन आंदोलन
पीबै बला पानियोमे कचराकेँ भसबैए सरकार
लोकक पैसा-कौड़ी केर इंतजामसँ लड़ैए चुनाव
अप्पन कुर्सीक लेल जनताकेँ फँसबैए सरकार
आखर-----20
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