प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
नेनाक नेनमतिसँ कष्ट होइ छै केकरो-केकरो
मुदा जँ सियान करै नेनमति तँ कष्ट हेतै सगरो
बुद्धि तँ जीबाक सभ लग छै राखि तथिआएल बुझू
मुदा बुद्धि बलें मात्र जीबैत देखै छी केकरो-केकरो
डरैए अन्हरियासँ सभ तकैए बाट बिहान केर
अन्हारसँ विलगि क' उजास भेटैए केकरो-केकरो
जँ हियाकेँ हेड़ाबए चाही तँ हेड़ा लिअ कतौ-केखनो
हियासँ हिया मीलि पबैए केखनो क' केकरो-केकरो
जगलोमे देखि लेत अछि सपना केखनो-केखनो
सूतलमे सपनाक यथार्थ भेटैए केकरो-केकरो
आखर-----20
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