प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
बिनु पीनहुँ नशामे मातल अछि ई दुनियाँ
शोणिते भीजल जेना काटल अछि ई दुनियाँ
सभ कहै अछि दोषी एक-दोसर लोककेँ तें
अपने सही कह'मे लागल अछि ई दुनियाँ
मंद-मंद मुस्की मुदा ठोर अछि काँपि रहल
सिनेहसँ सिक्त मुदा फटल अछि ई दुनियाँ
नजरि बचौने रहैए अपने लोक आब तँ
फाँटसँ फटिआएल साटल अछि ई दुनियाँ
राखू अपन विचार संजोगि क' सदिखन
अहीं सन लोक लेल ठाठल अछि ई दुनियाँ
आखर-----17
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