रविवार, 24 जून 2012

गजल


बाल गजल-१
निश्छल-निर्मल कोमल बचपन
धिया-पुता केर अलगहिं जीवन

चलैत रहैछ सभके अंतर्मन
भावक अजबहिं कूटन-पीसन

देह लेढायल मोन छइ कंचन
कमल-फूल सन लागै अनमन

क्षण ठिठियै क्षण कानै अनढन
चट सलाह आ झट द अनबन

बस टांट सोहारी बसिया तीमन
उठि भोरहरबा सभ सँ नीमन

इस्कुलसँ बचबा लेल धरछन
नीक लगय छइ मरुआ मीरन

कितकित पाड़ल सगरो आँगन
चइत-कबड्डी मुँह में सदिखन

हो मेघ-सुरुज या चान-तरेगन
जहि पर हाथ धेलक से अप्पन

"नवल" कथी फुरि जेतय कक्खन
बाल-मनक नै किछु परिसीमन

*आखर-१३ (तिथि-०४.०४.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)



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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों