निश्छल-निर्मल कोमल बचपन
धिया-पुता केर अलगहिं जीवन
चलैत रहैछ सभके अंतर्मन
भावक अजबहिं कूटन-पीसन
देह लेढायल मोन छइ कंचन
कमल-फूल सन लागै अनमन
क्षण ठिठियै क्षण कानै अनढन
चट सलाह आ झट द अनबन
बस टांट सोहारी बसिया तीमन
उठि भोरहरबा सभ सँ नीमन
इस्कुलसँ बचबा लेल धरछन
नीक लगय छइ मरुआ मीरन
कितकित पाड़ल सगरो आँगन
चइत-कबड्डी मुँह में सदिखन
हो मेघ-सुरुज या चान-तरेगन
जहि पर हाथ धेलक से अप्पन
"नवल" कथी फुरि जेतय कक्खन
बाल-मनक नै किछु परिसीमन
*आखर-१३ (तिथि-०४.०४.२०१२)
पंकज चौधरी (नवलश्री)
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