बाल गजल
माँ धरा मामा चान छै
सूर्य दादा नै आन छै
छै बिलाई मौसी चतुर
लैत मूसा के जान छै
कुकुर खेहारे चोर के
उड़ल चोरक त' प्राण छै
आम सब बनरा खेलकै
डाढ़ि तोड़ै शैतान छै
चलल हाथी जी ट्रेन चढ़ि
सूढ़ बड़का टा कान छै
बाघ छै हम सब छी तखन
शेर जंगाल के शान छै
फाइलातुन-मुस्तफाइलुन
2122-2212
अमित मिश्र
माँ धरा मामा चान छै
सूर्य दादा नै आन छै
छै बिलाई मौसी चतुर
लैत मूसा के जान छै
कुकुर खेहारे चोर के
उड़ल चोरक त' प्राण छै
आम सब बनरा खेलकै
डाढ़ि तोड़ै शैतान छै
चलल हाथी जी ट्रेन चढ़ि
सूढ़ बड़का टा कान छै
बाघ छै हम सब छी तखन
शेर जंगाल के शान छै
फाइलातुन-मुस्तफाइलुन
2122-2212
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें