प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
लोक तँ लजाइ छल पहिने छोट काज पर
मुदा आइ काज नीक क' उड़ैए जहाज पर
जाति मेटा लोक आइ रहरहाम भ' जीबैए
तैं केकरो ध्यान नै जाइ छै अनसहाज पर
बन्न भ' अपने घरमे जीबैए नवका लोक
ओकर मोन कहाँ आब जाइ छै रेवाज पर
पहिने मनुखमे देखाइत छल मनुक्खता
आब छै टिकल मोन दोसरा अवाज पर
आखर-----17
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