प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
अपन माटि-पानिक मोल पानिमे भसा गेलैए
तँए तँ आब शहरुआ रंग धौंस जमा गेलैए
अफसर आ बबुआनी भ' गेलैए मुट्ठीक खेल
सभ धिया-पुता तकनीकी ज्ञान ल' रमा गेलैए
देहकेँ जे खूब धुनियो क'नै पेलक बोनि ऐठाँ
शिक्षाक प्रतापे ओकरे धिया-पुता कमा गेलैए
गमैया लोक आबो जोगेने अछि पुरखाक थाती
शरहक चपेटमे आबि नवका झमा गेलैए
आब नै लुलुआबैए लोक अपन पड़ोसीयाकेँ
पाइसँ पटि सभहँक घर गम-गमा गेलैए
आखर-----18
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