मंगलवार, 26 जून 2012

गजल



मोनसँ पढ़लकै लिखलकै पोथी हजार ओ
तैयो भटकि रहल छै बनि बेरोजगार ओ

नै छै एत' कारखाना जाएत लोक कत'
सपना टूटि गेल भीखे माँगत बजार ओ

दोसर ठाम पेट काटिक' कोना रहत बचल
छै पहिलेसँ देह केने सौँसे उघार ओ

बदलल लोक आब अपना अपनी त' होइ छै
भेटल रोजगार नै भेटै नै उधार ओ

फहराएत सगर झंडा ताकत त' छै बचल
पर की करत बनल छै सब अपने बिहार ओ

सोचै छी भ' जाइ एखन एहन सन प्रलय
नै बचतै "अमित" इ भूखल देहक पथार ओ

मफऊलातु-फाइलुन दू बेर
2221-212-2221-212

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों