सोमवार, 25 जून 2012

गजल



असगर जनम लेलहुँ असगरे जी रहल
अपने भाग अपनेपर भरोसा बचल

मोनक खेतपर बजड़ा अपन खाइ छी
गलती अपन तेँए बाट काँटसँ भरल

मोजर नै सिनेहक भेल कहियो हमर
अपने तोड़ि नाता शहर मे जी रमल

दै छी दोष नेताके किए आब यौ
अपने भोट दै छी घेँट अपने कटल

लोभी छी अधम छी "अमित" भटकै सगर
पक्षक नै अपक्षक मोन अपने बनल

मफऊलातु-मफऊलातु-मुस्तफइलुन
2221-2221-2212
बहरे-कबीर

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों