| गजल-९ |
| बौआ के छटिहारक राइत मिथिला-विधिए नियारल काजर |
| शुभग - सिनेहक ठोप करिकबा मौसी हाथक पारल काजर |
| नवरातिक अहि शुभ-बेला में अबै अष्टमिक राति डेराओन |
| माय अपन संतति सभके तें आंखि दुनु चोपकारल काजर |
| अन्हरिया राति अमावस के ई दीप - पुंज मुंह दूइश रहल |
| राइत दिवालिक लेसल टेमी तंत्र - मन्त्र उपचारल काजर |
| कते सुहन्गर स्वप्न सजोने कजरायल आँखिक पेपनी पर |
| बरसाति -पंचमी- मधुश्रावनि नवकनिया के धारल काजर |
| नव यौवन के नव तरंग इ "नवल" मोन भसियेबे करतै |
| गोर-गोर चन्ना सन मुंह पर सजनी एना लेभारल काजर |
| ***आखर-२४ (सरल वार्णिक बहर) पंकज चौधरी (नवलश्री) (तिथि-२५.०६.२०१२) |
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मंगलवार, 26 जून 2012
गजल
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पंकज चौधरी (नवलश्री)
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