मंगलवार, 26 जून 2012

गजल

गजल-९
बौआ के छटिहारक राइत मिथिला-विधिए नियारल काजर
शुभग - सिनेहक ठोप करिकबा मौसी हाथक पारल काजर
नवरातिक अहि शुभ-बेला में अबै अष्टमिक राति डेराओन
माय अपन संतति सभके तें आंखि दुनु चोपकारल काजर
अन्हरिया राति अमावस के ई दीप - पुंज मुंह दूइश रहल
राइत दिवालिक लेसल टेमी तंत्र - मन्त्र उपचारल काजर
कते सुहन्गर स्वप्न सजोने कजरायल आँखिक पेपनी पर
बरसाति -पंचमी- मधुश्रावनि नवकनिया के धारल काजर
नव यौवन के नव तरंग इ "नवल" मोन भसियेबे करतै
गोर-गोर चन्ना सन मुंह पर सजनी एना लेभारल काजर
***आखर-२४
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-
२५.०६.२०१२)



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