गुरुवार, 28 जून 2012

गजल

बाल गजल-५

कीन दे कचरी-झिल्ली-बऽरी लवणचूस आ कुट-कुट माँ
लोढि बाधसँ धान जे अनलौं भूजि दे मुरही भुट-भुट माँ

धान अगोअं के जे उसरगल तकर कीन दे फीता-बाला
काकी जे देलखिन्ह बाला से हाथमें होई छ छुट-छुट माँ

ललका फीता गूहल जुट्टी तेल सँ माथा गमकै गम-गम
थकरै केश जहन ककबा लऽ ढील केऽ मारै पुट - पुट माँ

देखि भूख सँ लोहछल नेन्ना दुःख-सुख सभटा लोप भेलै
भंसा घर में घाम सँ भीजल काज करै सभ चुट-चुट माँ

होय कहाँ अनका देखबैलै "नवल" इ मायक माया-तृष्णा
भेड़ निन्न तइयो कहि खिस्से दूध पियाबय घुट-घुट माँ

*आखर-२२ (तिथि-२४.०६.२०१२)

©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों