खिलल फूलक आश मे भेटल कटैया
इ मधुमासक समयमे पतझड़ समैया
तड़प भेटत मात्र फँसलौँ यदि मरूस्थल
बनल छै मारूक एहन घर घरैया
जड़ल मानव नेह मे दुख मीत दै छै
पियासल छै खूनके सब मन वनैया
खसल छै अर्थव्यवस्था सड़ल सोँगर
अपन पेटक भूख बनि गेलै बलैया
द' रहलै यै दोष स'ब पर स'ब नगर मे
द' रहलै केओ त' ककरो नै बधैया
कते टाटक दोगमे अजगर बसैया
दरद सिन्धुसँ भासि गेलै "अमित" नैया
मफाईलुन-फाइलातुन-फाइलातुन
1222-2122-2122
बहरे-सरीम
अमित मिश्र
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