मंगलवार, 26 जून 2012

गजल


गजल-१३
काजर सन कजरौटो कारी भाग जगैयै काजर के
पाकि रहल कजरौटा त की सुख भेटैयै काजर के
लोक करइयै मोहित भ घाट-बाट काजर के चर्चा
कजरौटा के हाल के पूछत सभ देखैयै काजर के
अवहेलित कजरौटा खाली काजर नयन नचैयै
कोन धेने कजरौटा बैसल देखि जड़ैयै काजर के
कजरौटा के भाग सिया सन सुख सपनेहु नै भेल
टेमी सँ पुछियऊ ओ सभटा भेद बुझैयै काजर के
"नवल" हाथ लेती कजरौटा फेर लगेती काजर ओ
अही मोह में फंसि कजरौटा फेर पोसैयै काजर के
***आखर-२०
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-
२६.०६.२०१२)



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