गजल-१३ |
काजर सन कजरौटो कारी भाग जगैयै काजर के |
पाकि रहल कजरौटा त की सुख भेटैयै काजर के |
लोक करइयै मोहित भ घाट-बाट काजर के चर्चा |
कजरौटा के हाल के पूछत सभ देखैयै काजर के |
अवहेलित कजरौटा खाली काजर नयन नचैयै |
कोन धेने कजरौटा बैसल देखि जड़ैयै काजर के |
कजरौटा के भाग सिया सन सुख सपनेहु नै भेल |
टेमी सँ पुछियऊ ओ सभटा भेद बुझैयै काजर के |
"नवल" हाथ लेती कजरौटा फेर लगेती काजर ओ |
अही मोह में फंसि कजरौटा फेर पोसैयै काजर के |
***आखर-२० (सरल वार्णिक बहर) पंकज चौधरी (नवलश्री) (तिथि-२६.०६.२०१२) |
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मंगलवार, 26 जून 2012
गजल
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पंकज चौधरी (नवलश्री)
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