गजल-१२
सजनी रहि-रहि टेमी बारी
भरि कजरौटा काजर पारी
थोपि रहल छी काजर सौंसे
ओहिना मादक नयना भारी
आंखिसँ आँखिक फेरम-फेरी
जेना होय मऊहक़ के थारी
देह रहल आ प्राण बिलेलै
नयन-वाण सँ जिवते मारी
करिया आँखिक पोखरि कात
स्वप्न सेहनता केर बैसारी
कहू छोडि ई आँखिक अमृत
पीब कियैक हम दारु -तारी
मोन के जीतैऽ जे तकरा पर
"नवल" कियै ने जीवन हारी
***आखर-११
(तिथि-२६.०६.२०१२)
भरि कजरौटा काजर पारी
थोपि रहल छी काजर सौंसे
ओहिना मादक नयना भारी
आंखिसँ आँखिक फेरम-फेरी
जेना होय मऊहक़ के थारी
देह रहल आ प्राण बिलेलै
नयन-वाण सँ जिवते मारी
करिया आँखिक पोखरि कात
स्वप्न सेहनता केर बैसारी
कहू छोडि ई आँखिक अमृत
पीब कियैक हम दारु -तारी
मोन के जीतैऽ जे तकरा पर
"नवल" कियै ने जीवन हारी
***आखर-११
(तिथि-२६.०६.२०१२)
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