प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
पहिने ताकि कनडेरिए फँसेलौं अहाँ
पछाति ब्रम्हचर्य उपदेश देलौं अहाँ
जिनगीक सभ बाट लगै छै मलिन
हमर जिनगीमे पैसि क' हँसेलौं अहाँ
हम तँ बिलटल रही एकसर भ' क'
हमरा सन निकम्मासँ बन्हेलौं अहाँ
जिनगी तँ बन्न किताबक पन्ना रहए
मुदा खोलि एकरा सौंसे तँ देखेलौं अहाँ
आखर-----15
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