जवानी के शराबसँ घोरि देखू ने
जँ चाही आगि छाती बोरि देखू ने
कतौ छै बाँझ जिनगी आ कतौ टूअर
अपन गामसँ त' नाता जोड़ि देखू ने
बचल छै किस्त जिनगी रोग मे कोना
गरीबक टोल गाड़ी मोड़ि देखू ने
कनक कोठी जड़ल रावणक जानै छी
अपन मोनक अहं के फोड़ि देखू ने
कने हँसियौ मनुख जीवन जँ अछि भेटल
अमीरी के नशा सब छोड़ि देखू ने
मफाईलुन
1222 तीन बेर-
बहरे- हजज
अमित मिश्र
जँ चाही आगि छाती बोरि देखू ने
कतौ छै बाँझ जिनगी आ कतौ टूअर
अपन गामसँ त' नाता जोड़ि देखू ने
बचल छै किस्त जिनगी रोग मे कोना
गरीबक टोल गाड़ी मोड़ि देखू ने
कनक कोठी जड़ल रावणक जानै छी
अपन मोनक अहं के फोड़ि देखू ने
कने हँसियौ मनुख जीवन जँ अछि भेटल
अमीरी के नशा सब छोड़ि देखू ने
मफाईलुन
1222 तीन बेर-
बहरे- हजज
अमित मिश्र
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