सगरे दुनिया छै पसरल आब विकल हारल मनुख
कतहु समाज और कतहु करेज से मारल मनुख
तम तम चेहरा सगरे हँसी ठोढ से उडि गेल जेना
कतहु पडल कतहु कनैत शोणित ढारल मनुख
सरकारी तंत्र के फेरा मे आब लोक भेल छैक बेदम
टाका गनैत चप्पल घसबैत मरै छै थाकल मनुख
पाहुन देखि दरबज्जा पर होएत छैक मोन विखिन्न
स्वार्थ तकैत चहुकात भेल अपने से बारल मनुख
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