गुरुवार, 7 जून 2012

गजल


मारी माछ नहि ऊपछी खत्ता
भरि समाज घोडन केँ छत्ता 

परचट्ट बनल जनता छी 
खाई छी गरदनि पर कत्ता

कांकोड बिएल कांकोडे खए 
भय  गेल देशक लत्ता-लत्ता 

सगरो  नाँघल जाईत अछि 
छन छन मरीयादा केँ हत्ता   

रहब भरोसे कतेक दिन 
भेटे एक दिन हमरो भत्ता   

(वर्ण-११)
जगदानन्द झा 'मनु' 

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों