प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-----
हमरा तँ सुख भेटैए गजलक गाँतीमे
ओहिना जेना जाड़मे गर्मी भेटए गाँतीमे
बगए-बानिसँ बुझू जे नन्हकिरबा लागै
अपन सभटा दाढ़ी ताकी नन्हकी नातीमे
दारू-दरबार लगा रही निसाँमे मातल
हम बखानी सत्य सभटा उठल आँतीमे+
अप्पनकेँ तँ दूर हटा कए सही रंगदारी
रंगदारक लेल धार चढ़ेलौ दराँतीमे
आखर-----16
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें