प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल----
नै जानि केकरो बड़प्पन केना सम्हारू
चारि तहमे झाँपल अछि कोना उघारू
सभ कर्तव्य अछि माटिमे गाड़ल सन
गाड़ल वस्तु अहीं कहू कोना उघारू
दुर्गति पहिने तखन ई सद्गति आबै
कहू दुर्गति लोकक सोंझा कोना उघारू
तेसर क्रम शील केर अछि फरिछाबै
कहू जे केकरो अश्लीलताकेँ कोना उघारू
चारिम नजरिक फेरमे डुबा रहल
नजरे कड़गड़ तकरा कोना उघारू
आखर-----15
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें