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मोह माया छोड़ि क' रमै जो भक्ति मे
पापक बोझहा कम करै जो भक्ति मे
बिन डोरक पतंग कनिको नै उड़ै छै
स्वर्गक अखण्ड डोर बनबै जो भक्ति मे
मोह माया छोड़ि क' रमै जो भक्ति मे
पापक बोझहा कम करै जो भक्ति मे
बिन डोरक पतंग कनिको नै उड़ै छै
स्वर्गक अखण्ड डोर बनबै जो भक्ति मे
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