चंदन कुमार झा
ई गजलक मामिलामे अनचिन्हार आखरक खोज छथि।
हिनक परिचय हिनकहि शब्दमे----
पिता-श्री अरूण झा
माता-मीना देवी
जन्म-०५-०२-१९८५
ग्राम-सड़रा,मदनेश्चर स्थान
पोस्ट-मदना
थाना-बाबूबरही
जिला-मधुबनी
जन्म-स्थान-सिसवार (मामा गाम मे)
नाना-स्व० शुशील झा (राजाजी)
आरंभिक शिक्षा-मामा गाम मे (१०वाँ धरि)
आँगाक शिक्षा- अन्तर-स्नातक (वाणिज्य) एवं स्नातक (वाणिज्य) दरिभंगा सँ, चंद्रधारी महाविद्यालय.,वित्तीय-प्रबंधन मे डिप्लोमा (वेलिंगकर इन्सटीच्युट आफ मैनेजमेन्ट,मुम्बई)
व्यवसायिक जीवन- एकटा बहुराष्ट्रीय कंपनी मे लेखा-विभाग मे कार्यरत
परिवार-निम्न मध्यम वर्गीय कृषक परिवार
रुचि-अध्ययन-अध्यापन,नाटक-संगीत ,सामाजिक सरोकार सँ जुड़ब आ' साहित्यिक गतिविधि.
साहित्य लेखन-२००० ईस्वी सँ.कएक गोट कविता,लेख ईत्यादि दरभंगा रेडियो स्टेशन एवं विभिन्न पत्र-पत्रिका सभ सँ प्रकाशित-प्रसारित.
किछु व्यक्ति जिनकर अनुकंपा सँ कहियो उॠण नहि होयब- श्री विजयकांत मिश्र (अध्यापक)-कन्हई,श्री शंभूनाथ झा-सुसारी,श्री ताराकांत झा (संपादक,मिथिला समाद),डा० धिरेन्द्र नाथ मिश्र (मैथिली विभागाध्यक्ष,सी.एम.कालेज)
(हम ई त' नहि कहि सकब जे मैथिली सँ हमरा कहियो भेँट नहि छल किएक त' हम मैट्रिक सँ स्नातक धरि सभ दिन एच्छिक विषय के रूप मे एकरा पढलहु.हाँ तखन मैथिली व्याकरण सँ कहियो भेँट नहि भेल अवश्य. हमरा कहियो मैथिली पढब आ'कि लिखबा मे बेशी दिक्कत नहि भेल किएक तए जहिना बजैत-सुनैत छी ओहिना लिखैत छी आ' सभ दिन मैथिली साहित्य रुचिकर लगैत रहल अछि...मुदा, मैथिली मे कविता ईत्यादि हम लिखनाय चालू कएलहुँ एकरा पाँछा हमर पारिवारिक आर्थिक विपन्नता छल..एकटा एहन समय आयल जखन लगैत रहय जे पढाइ बिचहि मे छोड़य पड़त किएक त' अभिभावक पढौनिक खर्चा देबय मे असमर्थ भऽ गेल रहथि ..खोलि कय कहियो नहि कहलथि..सभदिन उत्साहित करैत रहलथि..मुदा जहिया दरभंगा सँ गाम जाइत छलौ मासक खर्च अनबा लेल माँ-बाबूजीक चिन्ता स्पष्टतः दृष्टिगोचर होइत छल..लोकक धिया-पुता गाम अबैछ त' माय-बाप हर्षित होइत छैक...हमर माय कनैत छल...मुदा, खून बेचि पढेबाक जिद्द आ तइँ पढाइ नहि छोडल भेल...एहि समय मे परमादरणीय श्री ताराकांत झा जी (संपादक-मिथिला समाद) एकटा सुझाव देलनि जे दरभंगा रेडियो-स्टेशन मे हरेक-मास किछु कार्यक्रम कऽ किछु धनार्जन कयल जा सकैत अछि आ' मासक खर्छ निकालल जा सकैत अछि. हमरा ई सुझाव सूट कयलक आ' फेर सँ नव-उत्साहक संग अपने धनार्जन कय पढबाक विचार ठनलहु. तत्काल एकटा प्राइवेट स्कूल मे मास्टरी पकडि लेलहु...फेर डा. धीरेन्द्रनाथ मिश्र (तत्काळीन बिभागाध्यक्ष-मैथिली , सी.एम.कालेज) के मार्गदर्शन भेटल..केन्द्रिय पुस्तकालय, दरभंगा मे भरि दुपहरिया अगबे मैथिली के पोथी पढी
....जे मोन मे अबैत गेल लिखैत गेलहु आ' एक साल मे पचास टा सँ बेशी कविता लिखलहु....आब मोनो लागय लागल..नित नव उल्लास ......रेडियो स्टेशन सेहो ३-४ टा कार्यक्रम करबाक अवसर देलक...स्नातक खतम भेल..आगाँ पढबाक मोन छल दू टा छोट भाइक भविष्य सोचि अपन भविष्य दाँव पर लगा देलियैक...रोजी-रोजगारक अवसर मे मुम्बई चलि गेलहु..क्रमशः दिन घुरल ..फेर अपनो जहाँ धरि सकलहु आगाँ पढलहु..(फाइनान्स सँ डिप्लोमा कयलहु).....एखनहु पढतहि छी...मझिला स्नातक कयलक..छोटका भाइ एखन इंजिनीयरिंग कय रहल अछि...आब संतोष अछि....त्यागक फल भेटल...हाँ एहि झमेला मे पछिला छह बरख मे साहित्यिक रचनात्मका जेना हेराय गेल छल..मुदा संजोग जे कलकत्ता स्थान्तरित भेलहुँ..फेर ताराकांजी भेटलाह आ' नवउत्साह पाबि किछु लिखबाक प्रयास शुरू कयलहु..किछु सफलता सेहो भेटल..आ' फेर विदेह भेटल..एकर सुधि पाठक भेटल..गुरूरूप मित्र भेटल ......आ' सभटा हेरायल सपना जेना भेट गेल...अरे बाप रे ई कथा त' अनावश्यक नमहर भेल जा रल अछि..एकरा एतहि खतम करू...अहाँ सभक स्नेह बेर-बेर किछु नव लिखबाक...जिनगीक गुनबाक लेल प्रेरित करैत रहैत अछि ...एहने स्नेह सभ दिन बनल रहय एतबहि भगवती "वैदेही"सँ कामना.)
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