गुरुवार, 21 जून 2012

गजल



गजल-१०

करिया आइंखक कातक काजर
शोभि रहल अहिवातक काजर

नव यौवन के प्रीत में पसरल
नयन सँ ल नथियातक काजर

लजा गेली ओ देइख क लेभरल
अपन चतुर्थी परातक काजर

सुन्न लगय बिनु काजर नयना
लेप लेलहुं बिन बातक काजर

अनसुहांत सन गप श्रृंगारक
नयन लगय नै जातक काजर

नैन हुनक जा धरि अछि मूनल
बस चुप बैसल तातक काजर

नयन-वाण सँ प्राण जों बंचि गेल
"नवल" जान लेत घातक काजर



***आखर-१३
(सरल वार्णिक बहर)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
(तिथि-
२१.०६.२०१२)

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