गजल-५९
नयनक काजर नोरघोरिकऽ मोसि बनेलौ
भाव करेजकआखर-आखर लिखि पठेलौ
बुझलहुँ अहाँविदेश मे जाकऽ खूब कमेलौ
मुदा कहू कीगामहि सन नेह ओत्तहु पेलौ ?
छै सुविधा कनेकम्म गाम मे शहर अपेक्षा
मुदा,की कहियोसूच्चा भोजन शहर मे खेलौ ?
हम बेकारेदेखि-देखि सपना रैन गमेलौ
अपन जुआनीअहीँ आस मे बेरथ गमेलौ
आन बुझैत छीहमरा आहाँ कोनो बात नहि
"चंदन"मुदा कोना केमाय-बाबू के बिसरलौ ?
---------------वर्ण-१७-------------
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