शुक्रवार, 1 जून 2012

गजल

पागल बना देलौं हमरा जियब नहि देलौं
मर जौं चाहलौं जहर पियब नहि देलौं

बेदर्दी ऐहन बनलौं अहाँ जानि-जानिक
अपन
प्रेमक सागर में अहाँ डुब नहि देलौं

कचोटसँ भरल दिलक हाल ऐँखसँ बहेत छल
मुदा कानितो काल ऐँखसँ नोर चुब नहि देलौं

के सुनत? ककरा सुनायब? जौं अहीं नहि सुनलौं
चुप जौं रह चाहलौं ठोर अहाँ सियब नहि देलौं

सपना देखा-देखाक कल्पना में डुबेलौं
किछ मांग जौं चाहलौं अहाँ लेब नहि देलौं

सारा जग भेल उदास हमर अन्तिम पल देखिक
मुदा मरितौ काल हाथ अपन छुब नहि देलौं

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रचित तिथि : मे ११, २०१२
पहिलबेर प्रकाशित : ११ मे, २०१२ (फेसबुक)
© गजलकार
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1 टिप्पणी:

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों