पागल बना देलौं हमरा जियब नहि देलौं
मर जौं चाहलौं जहर पियब नहि देलौं
बेदर्दी ऐहन बनलौं अहाँ जानि-जानिक अपन
प्रेमक सागर में अहाँ डुब नहि देलौं
कचोटसँ भरल दिलक हाल ऐँखसँ बहेत छल
मुदा कानितो काल ऐँखसँ नोर चुब नहि देलौं
के सुनत? ककरा सुनायब? जौं अहीं नहि सुनलौं
चुप जौं रह चाहलौं ठोर अहाँ सियब नहि देलौं
सपना देखा-देखाक कल्पना में डुबेलौं
किछ मांग जौं चाहलौं अहाँ लेब नहि देलौं
सारा जग भेल उदास हमर अन्तिम पल देखिक
मुदा मरितौ काल हाथ अपन छुब नहि देलौं
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रचित तिथि : मे ११, २०१२
पहिलबेर प्रकाशित : ११ मे, २०१२ (फेसबुक)
© गजलकार
www.facebook.com/kundan.karna
मर जौं चाहलौं जहर पियब नहि देलौं
बेदर्दी ऐहन बनलौं अहाँ जानि-जानिक अपन
प्रेमक सागर में अहाँ डुब नहि देलौं
कचोटसँ भरल दिलक हाल ऐँखसँ बहेत छल
मुदा कानितो काल ऐँखसँ नोर चुब नहि देलौं
के सुनत? ककरा सुनायब? जौं अहीं नहि सुनलौं
चुप जौं रह चाहलौं ठोर अहाँ सियब नहि देलौं
सपना देखा-देखाक कल्पना में डुबेलौं
किछ मांग जौं चाहलौं अहाँ लेब नहि देलौं
सारा जग भेल उदास हमर अन्तिम पल देखिक
मुदा मरितौ काल हाथ अपन छुब नहि देलौं
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रचित तिथि : मे ११, २०१२
पहिलबेर प्रकाशित : ११ मे, २०१२ (फेसबुक)
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कमसँ कम बहरक पालन जरूर करी गजलमे।
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