ठोर लाल गोर गाल बबाल करै ,
कत्त' सँ रूप भेटल सबाल करै ,
अहाँ छी नव कली खुशबु भरल ,
लै छी अंगराई देखू हलाल करै ,
यौवन खतरा कए निशान सटल ,
देह चुमैत कपड़ा धमाल करै ,
मारि-झगड़ा फसि गेलै देखुयौ ने ,
एगो कनखी केहन कमाल करै ,
हमहूँ अहाँक दिवाना छी सजनी ,
देखू प्रेम सँ "अमित " खियाल करै . .
अमित मिश्र
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