प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल......
कएल कोनो कुकृत्यसँ लोक नै आब ढ़ठाइए
वएह कुकर्मी सभ-सभ ठाम आब ठठाइए
लोक पबैए रोजगार तँ बुनैए नव समाज
जत' जा कमाइए ओतुके भ' आब सठिआइए
उघरल लोक सभकेँ छुट्टा भ' घुमैत देखब
मुदा झँपलाहा लोक सभ लाजे आब ढ़ठिआइए
नीक काज केनिहार सभ झँपले रहैत अछि
नीच काज केनिहारक झंडा आब उधिआइए
आखर---18
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