प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल---
आब कविता आ गीत नै गजल चाही
अपहर्ता चाँगुरसँ सकुशल चाही
ठोरक मुस्की बनल रखबाक लेल
धन आ जन सभहँक सबल चाही
जहिया धरि रहत पेट खाली सन
गीत आ संगीत नै पेटक अमल चाही
कते आश करू हुनकर मड़ैयाक
आब अपन बनाओल महल चाही
तकनीकी रुपें भ' रहल छी सबल
तँए इ भ्रष्ट व्यवस्था बदलल चाही
आखर-----14
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