प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल---
ई दौड़ए नेतबा दिल्ली धरि
जेना भैंसी दौड़ै मालक थरि
खाँहिस तँ भरब जेबी छै
दूनू छोड़ए ने कोनो कसरि
बीत नापि क' हाथ गनाबए
छै एकल नापिक नै असरि
भरल पंचैती माथ झुकाबै
ई जान बचाबै कोना ससरि
बाँटै धरमकेँ दुनू मीलि क'
कूटि-चालि तँ जाइछ घोसरि
आखर---11
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