प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल---
जुग बीति गलै लगबैत जोगारमे
मुदा पता नै की लीखल छै कपारमे
दिन बितेलौं दोस्तीए निमाहि हम तँ
तैयो छल हत्यारा अपने भजारमे
भाइ जे काटैए गरदनि सदिखन
ओ माथा टेकैए मंदिर-मजारमे
हे एना नै चलू हाथ छोड़ि बाटपर
बहि जाएब कहियो उन्टा बयारमे
जे बुझतै बितैत समय केर मोल
मुन्ना ओकरे दिन बिततै बहारमे
आखर-----14
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