प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल---
नेताक फाँसमे फँसल ई भारत भाए-भैय्यारी जकाँ
देखू छटपटा रहल माछ भरल अपियारी जकाँ
लोक तँ कटैए घिसिऔर महँगाइसँ मारल भ' क'
भावे मुदित मुदा स्वर निकलैछ फकसियारी जकाँ
आर्थिक उदारीकरण कमाइ आब लाखमे होइछ
मुदा वैश्विक परिस्थितिमे मोल लागए हजारी जकाँ
बिहारक सिरखारी बदलि गेल सन लगैए आब
श्रमिक घटलासँ कंपनी-मालिक लगै बिहारी जकाँ
आइ धिया-पुता घुमैए प्रशिक्षित बेरोजगार भ' क'
महँगाइमे आंशिक लाभ पाबि बुझैए दिहाड़ी जकाँ
आखर---20
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