हरियाली देख हरियर मोन भ' जाइ यै ,
बंजर धरा देख बज्जर मोन भ' जाइ यै ,
जँ आमक गाछी मे एक्को मिनट बिताएब ,
मिठ पवन सँ मिठगर मोन भ' जाइ यै ,
जँ खेत मे देखै छी झुमैत गहूँमक बालि ,
सरसोँ फुल सँ रसगर मोन भ' जाइ यै ,
घरक आगू गुलाबक उपवन सजेलौँ ,
आब एत्तै करब गुजर मोन भ' जाइ यै ,
लोभी लोक लाजो नै करै छथि गाछ काटि क' ,
देख क' "अमित" गड़बड़ मोन भ' जाइ यै . . . । ।
अमित मिश्र
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