सोचै छी हम एकबेर बनि जैतिहौं जँ फेर सँ नेनाभुटका बच्चा
टहैलि आबितिहौं बाड़ि-झाड़ि, खादि-खन्नर, पोखरि, डाबर, चभच्चा
खेलैबतिहौं नरकैटक बन्दुक, बजैबितौं केरापातक पिपही,
घसि-घसि बनैबतिहौ सीटी-बाजा, उखारि ओंकरल आमक बिच्चा
उछैलितौं, फाँनितौं, घुमितिहौं घुमरि, खेलैबितिहौं करियाझुम्मरि
करितौं हो-हो, बनितौं मरूआक ढ़ेरी, उरैबितौं थालक फुरकुच्चा
चढ़ितिहौं जँ आम, लताम, जामुनक गाछ, झुलितिहौ डारिक झुल्ला
कुतैरतिहौं टिकुला आ फुल्ली-बाति फर, मारितिहौं कच्चा पर कच्चा
घिचितिहौं झोटा-चोटी,, घोलैटितौं भुइयाँ, कनितिहौ हकपुत्तर
साँझ-बाति जँ घुरि अबितिहौं अँगना, मारिते माय, बौसतिहै चच्चा
मनक सेहन्ता मुदा घुमरि-घुमरि रहि जाइ ये मोनेक भीतर
सभटा भs गेल आब ई दुःसपना, जेँ चढ़ल ई यौवन अधखिच्चा
"शांतिलक्ष्मी" शहर-गाम मे देखय बस एक्के रंगक रंगल छिछ्छा
छेटगर होइते पाछु पड़ि जाइ छै टोलक बूरल लफुआ लुच्चा
........वर्ण २५........
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