अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012
गजल
प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल---
आजुक युगक कथा पुराण सुनू
जाहिसँ पेट भरए सएह गुनू
नै करू देखाँउसे दूइर समय
स्वंय कोनो समस्याक निदान चुनू
जँ लागल पसाही अनका घरमे
तकरा लेल अहाँ नै कपार धुनू
घर तँ बचाउ सदिखन अप्पन
मुदा तेँ दोसरा बेर नै आँखि मुनू
आखर—13
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