अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012
गजल
आगि
लागल जेना
हो
घोरल जेना हो इनारेम
हम सूतल, पडल,
निश्चिन्त
सोहरल
जेना हो भराडेमे।
सुख
सं रहब, शांति सं
रहबबितैत
गेल जिनगी नियारेमे।
नाचैए
लोक घेरायल
बादिमो
देखू
मगन अछि उधारेमे।
मरि
-मरि क' जीयब आबो
कोना
'
अनिल
' सूनू गजल इशारेमे।
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