बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

गजल

आइ नोर सँ आँखि बोरि रहल छी ,
ककरो दिश मोन मोड़ि रहल छी ,
तेज श्वासक कोदारि सँ आइ हम ,
यादिक सक्कत मेटि कोरि रहल छी ,
तरेगणक बीच बैसल चान सँ ,
पहिले जेकाँ डोर जोड़ि रहल छी ,
अन्हारक बीच कुकुरक आवाज सँ ,
रहि-रहि क' ध्यान तोड़ि रहल छी ,
कत्तौ- कत्तौ जुगनू चमकी उठै छै ,
नै एला प्रिय ,आश छोड़ि रहल छी ,
राति जुआन बुढ़ सब भेलै देखू ,
ओ औता ,विश्वास नै छोड़ि रहल छी ,
आइ नै त' काल्हि जरूर औता प्रिय ,
यैह सोचि ओछेना छोड़ि रहल छी . . . । ।
अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों