अनचिन्हार आखर
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
गुरुवार, 24 मई 2012
रुबाइ
रुबाइ
-10
दूध सँ बेशी स्वाद लगैए ताड़ी मे
खेत बिकैल लागल हाथ घराड़ी मे
एखन तऽ अमृत लगैए चिखना संगे
बुझबै जखन लीवर सड़त बुढ़ारी मे
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