प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
लिव-इन-रिलेशन लेल प्रेम उधार चाही
हम रही नै रही मुदा प्रेमी जिम्मेदार चाही
सभ तँ विलगा लैए सेहन्ता पूर भेलापर
ओ थकनी उतारैए तँ केकरो व्यापार चाही
उदारीकरण पहुँचल हमर गाम धरि
केकरो समाने तँ केकरो दोकानदार चाही
पीठपर तँ घोंपैए छूरा बहुत आदमी
मारए सीनामे हमरा एहने भजार चाही
आखर-----17
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