प्रस्तुत अछि मुन्ना जीक गजल-------------
अछि ई दुनियाँ लगैत जोगारसँ बाँचल
निठ्ठलो तँ एत' नै अछि व्यापारसँ बाँचल
ऐठाँ पुरुषो रहैत अछि धंधामे लागल
अछि केओ नै एत' अधिकारसँ बाँचल
पसरि गेलैए सगरो गाममे फास्टफूड
आब सभ अछि तीमन-सचारसँ बाँचल
सभ अपनाकेँ पूरे काबिल बुझैए ऐठाँ
केओ नै अछि ठक आ बुधयारसँ बाँचल
आखर-----16
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