शहर के सब शराबी चलू घ'र हमर
ओतै नशा के बसेबै नया शह'र हमर
भ' क' दुनियाँ सँ अलग कने काल झूमब
क्षणे मे हरिया जेतै सुखल च'र हमर
नदी नोर मे घोरब रंग बिरंगक पानि
कोनो इयादक चखना हेतै क'र हमर
पिबै सँ पहिले मीता मुनि ले आँखि अपन
कहै नै इयाद नै केलौँ दिलब'र हमर
खसै छी बीच्चे सड़क त' कहै शराबी सब
ओकरा हँसबै लेए खसै छै ध'र हमर
भ' क' बदनाम "अमित " जी सकै छी हम त'
कहत जँ वेवफा त' जड़त घ'र हमर
वर्ण--16
अमित मिश्र
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